लेखनी प्रतियोगिता -14-Dec-20 बदलना चाहा आदर्शों को लेकिन मानव बदल ना पाया
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सृष्टि का आरंभ हुआ जब---
मानव ने जन्म लिया,
सर्वश्रेष्ठ योनि में आकर---
थोडा उसने अभिमान किया,
इच्छाओं की गागर को---
भरना उसने शुरू किया,
केवल मैं ही श्रेष्ठ हूं---
स्वयं पर गुरुर किया,
साम दाम दंड भेद अपनाया---
इच्छाओं की गागर का
उसने स्वयं सागर बनाया,
छलक ना जाए यह गागर---
कुछ ऐसा षड्यंत्र रचाया,
लालच की गागर भरने में---
किंचित भी ना विलंब लगाया,
आस्था धर्म और आदर्शों का---
उसने कैसा व्यंग बनाया,
बदलना चाहा हालातों को---
स्वयं को मानव बदल ना पाया,
भ्रष्टाचारी बनने में---
किंचित भी ना विलंब लगाया,
बदलना चाहा हालातों को---
स्वयं को मानव बदल ना पाया।
संगीता वर्मा✍✍
Priyanka Rani
15-Dec-2021 06:27 PM
Nice
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Kaushalya Rani
15-Dec-2021 05:18 PM
Nice
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Barsha🖤👑
15-Dec-2021 04:57 PM
Nice
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