Sangeeta

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -14-Dec-20 बदलना चाहा आदर्शों को लेकिन मानव बदल ना पाया

.⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘ ⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘⚘
  सृष्टि का आरंभ हुआ जब---
मानव ने जन्म लिया,
सर्वश्रेष्ठ योनि में आकर--- 
थोडा उसने अभिमान किया,
इच्छाओं  की गागर को---
भरना उसने शुरू किया,
केवल मैं ही श्रेष्ठ  हूं---
स्वयं पर गुरुर किया,
साम दाम दंड भेद अपनाया---
इच्छाओं की गागर का
उसने स्वयं सागर बनाया,
छलक ना  जाए यह गागर---
कुछ ऐसा षड्यंत्र रचाया,
   लालच की  गागर भरने में---
किंचित भी ना विलंब लगाया,
आस्था धर्म और आदर्शों का---
उसने कैसा व्यंग बनाया,
बदलना चाहा हालातों को---
स्वयं को मानव बदल ना पाया,
भ्रष्टाचारी  बनने में---
किंचित भी ना विलंब लगाया,
बदलना चाहा हालातों को---
स्वयं को मानव बदल ना पाया।
संगीता वर्मा✍✍


   13
11 Comments

Priyanka Rani

15-Dec-2021 06:27 PM

Nice

Reply

Kaushalya Rani

15-Dec-2021 05:18 PM

Nice

Reply

Barsha🖤👑

15-Dec-2021 04:57 PM

Nice

Reply